Tuesday, April 28, 2015

हिमालय के उँचे उँचे डानो के निचे बसा मेरा गाँव



हिमालय के उँचे उँचे डानो के नीचे बसा मेरा गाँव वही है अपनों की छाँव भी गढ़वाल भी वही कुमाँऊ भी वही है जहाँ बड़े बड़े वन सुन्दर सुन्दर वनो में खिले फूलो की घाटी और एक तरफ जहाँ कल कल छल छल करती नदियाँ  और अनेक  प्रकार के पशु पक्षी सुबह सुबह का द्रस्य जो मन को मोह लेने वाला होता है वही शाम के समय आप पहाड़ो की तरफ देखोगे तो आप को अलग अलग तरह के रंग नजर आयंगे। 

अल्मोड़ा की बात करू तो आप जब अल्मोड़ा के पहाड़ी जगह में जाकर आपको ये आभास होगा जी आप हिमालय की बहुत करीब है और वो पहाड़ आप को देख रहा है आप उसे निहार रहे हो सांस्कृतिक नगरी कहे जाने वाला अल्मोड़ा शहर अपने आप में संस्कृति को दर्शाता है कभी देखा होगा आप ने जब शाम का समय होता है तो हिमालय के  ऊपर सूर्य भगवान की किरणें पड़ती है और वह द्रस्य देखने लायक होता है। 

रानीखेत की बात करू तो यहाँ गोल्फ पार्क में आकर यूँ लगता है की सारी जहाँ की जन्नत यही उतरकर आई हो अल्मोड़ा से रानीखेत को जाते हुए आपको बहुत कुछ देखने योग्ग मिलेगा मजखाली से निचे बुबु धाम मंदिर जिसकी बिशेषता अपने आप में एक विशाल कायम करती है है  आगे रानीखेत  से चौबटिया गार्डन जो रानीखेत की खूबसूरती को बयां करता है। इन जगहों में आपको हर पग पग पर भगवान नजर आयंगे इसी लिए कहते है। 

यहाँ पग पग पर बिराजते है भगवान। 
तभी तो है देवो की देव  भूमि महान।।

चित्तई मंदिर जहाँ अल्मोड़ा से आस्था का एक अहम अटूट विश्वास माना जाने वाला न्याय कारी गोलू देवता  सबकी रक्षा करते है और वही सबको न्याय भी देते है उनके दर में सब एक समान ना कोई छोटा ना कोई बड़ा सबका रखते है ध्यान वही पहाड़ी पर  माँ दुर्गा  देवी कसार देवीमंदिर  इस मंदिर से हिमालय की ऊँची-ऊँची पर्वत श्रेणियों के दर्शन होते हैं। कसार देवी का मंदिर भी दुर्गा का ही मंदिर है।

कटारमल का सूर्य मन्दिर अपनी बनावट के लिए विख्यात है यहाँ पर समस्त हिमालय के देवतागण एकत्र होकर पूजा अर्चना करते रहै हैं। यह मूर्ति एक मीटर से अधिक लम्बी और पौन मीटर चौड़ी भूरे रंग के पत्थर में बनाई गई है। यह मूर्ती बारहवीं शताब्दी की बतायी जाती है। कोर्णाक के सूर्य मन्दिर के बाद कटारमल का यह सूर्य मन्दिर दर्शनीय है। कोर्णाक के सूर्य मन्दिर के बाहर जो झलक है, वह कटारमल मन्दिर में आंशिक रुप में दिखाई देती है। और सामने कोशी नदी के ऊपर से जो पथरो की बरात के रूप में बड़े बड़े विशाल काय पत्थर  देखने योग है। 
कोशी से आगे जाकर कुछ ही दूर में मेरा घर पड़ता है उसके आगे कठपुड़िया जाने वाला मार्ग आगे द्वारसौ काफी अच्छी जगह है मजखाली की धरती रमणीय है। यहाँ से हिमालय का मनोहारी हिम दृश्य देखने सैकड़ों प्रकृति-प्रेमी आते रहते हैं। मजखाली से कौसानी का मार्ग सोमेश्वर होकर जाता है। रानीखेत से कौसानी जाने वाले पर्यटक मजखाली होकर ही जाना पसन्द करते हैं। 

मेरी कलम  मेरा पहाड़ 
चित्र सौजन्य - रानीखेत 
श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
9876417798

Friday, April 24, 2015

मेरी मन की बात गोपाल बाबू गोस्वामी जी तक

मेरी मन की बात गोपाल बाबू गोस्वामी जी तक


गोपाल बाबू गोस्वामी जी के गीतों को सुनकर मानों यूँ लगता है हम वही अत्तीत में आ गए है और इतने अच्छे शब्दों का प्रयोग किया होता हर एक शब्द का अर्थ निकलता है। 

सच कहु तो आज में जितना भी अपने पहाड़ के लिए लिखता हूँ सभी मेरे बड़े लोगों आशीर्वाद है और मैने गोपाल बाबू जी के गीतों से बहुत कुछ सीखा है कुछ गीत मन को शांति देते है जहाँ वही कुछ गीत ह्रदय को भावुक करते है और उन गीतों से जो उनका अर्थ मिलता है सुनने को दिल में एक प्यार भरा सकूँ मिलता है। 

जहाँ घुघुति ना बासा,आमै की डाई मा वाला गीत हमेशा दिल को छूता है वही ''जै मैय्या दुर्गा भवानी, जै मैय्या'' मन को शांति देता है और आज के गीतों को कभी एक बार सुन लिया दुबारा सुनने का मन नही करता है। 

मेरी कलम मेरी सोच 

श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
9876417798

Friday, April 10, 2015

तुम चाहते हो खुशहाल उत्तराखंड बेमिशाल उत्तराखंड कहाँ से लाऊं

उत्तराखंड का है बेहाल यहाँ के नेता हो रहे मालामाल।
Almora  shyam Joshi कितना दर्द है पर कितनी है मुसीबतें सबको कैसे बतलाऊ।।

तुम चाहते हो खुशहाल उत्तराखंड बेमिशाल उत्तराखंड कहाँ से लाऊं।

खेत हो रहे बंजर गांव हो रहे बरबाद।
शराब के ठेकों ने कर दिया सब को कंगाल।। 

तुम चाहते हो खुशहाल उत्तराखंड बेमिशाल उत्तराखंड कहाँ से लाऊं।
कहाँ गए वो साज बाज कहाँ गया वो दमुवा नांगर।
सब खो से गए है वो फिर डाल दिए है पटबड़ाम।।

तुम चाहते हो खुशहाल उत्तराखंड बेमिशाल उत्तराखंड कहाँ से लाऊं।

क्यों लगा इतना बड़ा पलायन का सबको रोग। 
क्यों नही मिलता यहाँ पर सबको ग्राम्य उद्योग।।

तुम चाहते हो खुशहाल उत्तराखंड बेमिशाल उत्तराखंड कहाँ से लाऊं।।

श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
9876417798















                                                                 हरदौल वाणी के ताजे अंक में प्रकाशित मेरी पहली कविता -''कहाँ से लाऊं''



Thursday, April 9, 2015

अल्मोड़ा से रानीखेत तक का सफर

koshi pul

प्राकृतिक सौंदर्य के आंचल में बसे उत्तराखंड की बात ही निराली है,यहां खूबसूरत वादियों के साथ-साथ विविध संस्कृति का संगम भी मिलता है, फिर आज क्यों ना अल्मोड़ा से रानीखेत का सफर किया जाएं।

अल्मोड़ा शहर जिसके बारे में जितना कहु कम है, हमारी कुमाउँनी संस्कृति की असली छाप अल्मोड़ा से ही देखि जा सकती है, इसे सांस्कृतिक नगरी से भी जाना जाता है।

 उत्तरांचल दीपश्यालीधार पर लगा वो बोर्ड जब भी अल्मोड़ा जाता हूँ उस पर लिखा हुआ पढने में बुहत ही आनन्द आता है, “संस्कृतिक नगरी में आप का स्वागत है” उसके बाद आप निचे को जाते है, चीड़ के ऊंचे-ऊंचे पेड़ संकरे रास्ते और पक्षियों का कलरव मिलेगा और यहां शहर के कोलाहल से दूर ग्रामीण परिवेश का अद्भुत सौंदर्य देखने को मिलेगा।                                                                                                                             उत्तरांचल दीप में प्रकाशित मेरी यह रचना मुझे बेहद पसंद है।


यहां से दिखने वाले पहाड़ों पर सुबह दोपहर और शाम का अलग-अलग रंग साफ दिखता है. इस इलाके में छोटे-छोटे खेत आस पास गांव पत्थर के बने मकान सच कहु तो जब भी में अल्मोड़ा से अपने घर को जाता हूँ शायद ही मेरी पलके झपकती हो शहर से जब भी गांव जाओ तो दिल करता है बस इन्हीं पहाड़ो को देखू और इन में खो जाऊ बस सामने पहाड़ी पर आप को सूर्य मंदिर के दर्शन भी होते है।

कोसी नदी इस नदी से बुहत यादें जुडी है,गर्मी के दिनों में जब नानी के यहाँ आना होता था तो यहाँ जरूर आते थे बिना बताये कोसी नदी के किनारे सकूँ से बैठना एक मजेदार अनुभव हैं आप यहाँ अपने बीते पलों को याद करंगे तो बुहत ही अच्छा एहसास होगा।

कटारमल गांव सूर्य मंदिर से जाना जाता है एक और ख़ासियत यहाँ की कोसी से १ किमी दुरी पर आप को धारा मिलेगा जो हर मौसम में एक सम्मान पानी देता है और बुहत शीतल जल जो भी पर्यटक अल्मोड़ा से रानीखेत जाते है, यहाँ पर गाड़ी रोक कर ही जाते है।

आगे रानीखेत को निकलते हुए आप को छोटी-छोटी मार्किट मिलेंगी आगे जा कर मजखाली से युँ लगता है, हिमालय के आस-पास ही है, वैसे तो रानीखेत देखने लायक़ जगह है ।

अल्मोड़ा से आने वाले रोड पर चीड़ के घने जंगल के बीच यहां दुनिया का सब से मशहूर गोल्फ मैदान भी है,यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है, कोमल हरी घास वाला यह मैदान 9 छेदों वाला है, ऐसा मैदान बहुत कम देखने को मिलता है,कुछ दूर स्थित चिलियानौला नामक जगह है, घूमने और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए यह एक अच्छी जगह है, यहां फूलों के सुंदर बाग हैं जिन की सुंदरता देखते ही बनती है।


श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
मोबाइल : +91- 9876417798

Monday, April 6, 2015

हिसालु और काफल

पहाड़ो में पकने लग गए हिसालु और काफल।
अफसोस उन्हें खाने वाला बचपन शहरों में खाता है बर्गर।
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श्याम जोशी अल्मोड़ा ( चंडीगढ़ )
हिसालु और काफलसर्वाधिकार सुरक्षित