उत्तराखंड की धरती करे पुकार।
सूखा पड़ गया सारा पहाड़।।
मिट्टी पानी और बयार।
जिन्दा रहने के आधार।।
सुख गए नदी नौले गंगा।
हर तरफ मचा है तहल्का।।
ऊचे- ऊचे पहाड़ों पे पेड़ नहीं रहंगे।
नदी ग्लेशियर कहा टिके रहेंगे।।
धरती हो रही बंजर लगातार।
कोई साथ देने को नहीं है तैयार।।
वृक्ष है हमारा तुम्हारा जीवन
इससे मिलती सबको आक्सीजन
वर्षा ही तो फसल उगाती है।
जिसे पृथ्वी पर चलता जीवन।।
ये देवभूमि कर रही पुकार।
जल बचाकर करो इसका शृगार।।
रचना
श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
9876417798
सूखा पड़ गया सारा पहाड़।।
मिट्टी पानी और बयार।
जिन्दा रहने के आधार।।
सुख गए नदी नौले गंगा।
हर तरफ मचा है तहल्का।।
ऊचे- ऊचे पहाड़ों पे पेड़ नहीं रहंगे।
नदी ग्लेशियर कहा टिके रहेंगे।।
धरती हो रही बंजर लगातार।
कोई साथ देने को नहीं है तैयार।।
वृक्ष है हमारा तुम्हारा जीवन
इससे मिलती सबको आक्सीजन
वर्षा ही तो फसल उगाती है।
जिसे पृथ्वी पर चलता जीवन।।
ये देवभूमि कर रही पुकार।
जल बचाकर करो इसका शृगार।।
रचना
श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
9876417798