Thursday, February 26, 2015

घुघुतिया त्यार

आप सभी को परिवार सहित मकर संक्रान्ति एवं घुघुतिया त्यार की हार्दिक शुभकामनाएँ!

इस त्यौहार को मनाने के पीछे कोई कारण अवश्य होगा! कोई धारणा कोई न कोई किसी प्रकार की मान्यता रही होगी| जिस प्रकार मेरे मन मैं हर उस बात को जानने की उत्सुकता रहती है उसी प्रकार आपके मन में भी छुपुटाहट होगी आँखिर क्या तथ्य है इसके पीछे|
मैं बहुत खुश हूँ कि मैं आप लोगों को अपने पहाड़ अपने उत्तराखण्ड के इस महत्वपूर्ण त्यौहार की जानकारी उपलब्ध कराने में समर्थ हूँ|
बहुत पहले की बात है| प्राचीन समय में घुघुतिया नामक एक राजा था| वह बहुत बड़े विशाल साम्राज्य का अकेला राजा था| एक दिन उस राजा के यहाँ एक बहुत बड़े विद्वान का आगमन हुआ| राजा ने उस विद्वान से अपना भविष्य जानने की इच्छा जाहिर की| उस विद्वान ने कहा कि १ गते मकर संक्रान्ति के दिन राजा की मृत्यु होगी और काल कौवे का रूप धारण कर आएगा| जब राज्य के लोगों को इस बाबत जानकारी हुई तब सभी चिन्तित हो उठे| तब एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें सभी नगर वासी मौजूद थे|
चर्चा का विषय काभी गम्भीर था आँखिर सवाल राजा के जीवन को बचाने का था| सभी चिन्तित थे कि किस तरह राजा के प्राणों की रक्षा की जाय| क्योंकि राजा की मृत्यु से वहाँ की प्रजा पर संकट के बादल छा जाते|
तभी उस सभा में से एक वृद्ध बुजुर्ग ने सलाह दी कि हम सभी को कौवों को व्यस्त रखना होगा और इन्द्र ब्रह्मा व विष्णु की स्तुति की जाय ताकि राजा की मृत्यु काल को टाला जा सके| बहुत सोच विचार कर उस बुजुर्ग ने कहा क्यों न कौवों के लिए विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाएँ और उन्हें खाने में व्यस्त रखा जाय|
सभी को यह योजना पसंद आई| तब सभी राज्य वालों ने मकर संक्रंति के पहली रात सभी व्यंजन तैयार किए और योजनानुसार अगली सुबह प्रातः काल से ही कौओं को व्यस्त करने में लग गए| सभी कौए उन व्यंजनों को ग्रहण करने में व्यस्त हो गए साथ ही जो काल रूपी कौआ था वह भी उन सभी कौऔ के साथ व्यस्त हो गया|
इन सबके बीच वह काल रूपी कौआ ऐसा मग्न हुआ कि उसे राजा के प्राण हरने का सुध ही न रहा और राजा की मृत्यु का जो समय निशचित किया गया था वह निकल गया इस प्रकार राजा के प्राणों का संकट टल गया और राजा को जीवनदान मिल गया|
तब से ही मकर संक्रान्ति के दिन इस दिन को घुघुतिया के रूप में मनाया जाता है|
आज से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण कि ओर परिवेश करता है| और साथ ही सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है| आज के दिन को पुषुड़िया भी कहते हैं क्योंकि पूष खत्म होकर माघ का महिना शुरू होता है| वैशाख के माह को मेषार्क भी कहा जाता है|
"काले कौवा काले घुघुति माला खाले" ||
"लै कावा भात में कै दे सुनक थात"||
"लै कावा लगड़ में कै दे भैबनों दगड़"||
"लै कावा बौड़ मेंकै दे सुनौक घ्वड़"||
"लै कावा क्वे मेंकै दे भली भली ज्वे"॥
दीपा जोशी !
घुघुतिया त्यार की हार्दिक शुभकामनाएँ!

No comments:

Post a Comment