Friday, October 30, 2015

पलायन का दर्द

उत्तराखंड पहाड़ के लोगों का पलायन करना ये एक पहाड़ के लिए मुख्य समस्या बनती जा रही है लोगों को पूरी सुख सुविधाए उपलब्ध नहीं होने के कारण पलायन हो रहा है अधिकतर पहाड़ में (जैसे अच्छी शिक्षा रोजग़ार अच्छी चिकित्सा अच्छा रहन सहन आदि) पहले भी लोग कई पलायन कर चुके है जो पहाड़ उत्तराखंड को पूरी तरह छोड़ चुके है शहर विदेश जा कर बस चुके है।
उनके बच्चों उनकी परवरिश वहीं की है पर अपने उत्तराखंड का वो कुछ भी नहीं जानते की उनका कुछ उत्तराखंड से ही रिश्ता जुड़ा हुआ है कही न कही और अब जो लोग पलायन कर रहे है उनमे से कुछ रोज़गार बेहतर शिक्षा सुख सुविधाओँ के विवश शहर में रहते है ठीक है शहर में रहना पर पूरी तरह अपना गावं घर पहाड़ को नहीं छोड़ना चाहिए लोग अन्य भाषाओँ के दूर दूर से विदेशों से टुरिस्ट बनके हमारे उत्तराखंड आते है घूमने को और होटलों में आके रुकते है क्योँ की उनकी मज़बूरी है।
हमारी कैसी मज़बूरी शहर में बसे अच्छी बात पर अपने गावं के घर को क्योँ भूल गए जो टूट चुके किसी के तो नामोनिशान तक मिट चुके पूरी तरह सब बंजर पड़ चुके इसलिए पूरी तरह पलायन नहीं करना चाहिए अपने गावं के घर जाना चाहिए जिसका नहीं है वो बनवाए और उत्तराखंड जब जाए टूरिस्ट बनके होटल में नहीं अपने घर गावं जाए रहने को इससे घर गावं आबाद ही रहेंगे और इस समस्या पलायन के निवारण हेतू जो कोई भी शहर में रहते हुए अच्छी शिक्षा अच्छे कार्यलयो अच्छे पद पे कार्यवृत अच्छी जानकारी रखते हो अच्छी योजनाएं बना सकते हो वो यदि अपने पहाड़ के लिए कुछ करना चाहते है।
भले शहर में रहते हो पर उनको लगता है की वो कुछ कर सकते है उत्तराखंड के विकास के लिए तो उसे आगे बढ़ के पूरी तरह से आना चाहिए जिससे उनकी कोशिशों के जरिए बेहतर सुख सुविधाएं रोज़गार अच्छी शिक्षा चिकित्सा सब वहां के लोगों को उपलब्ध हो सके जिससे आगे लोग पूरी तरह पलायन करने की कभी न सोचें इसलिए कहीं भी रहिए चाहे शहर विदेश उत्तराखंड जाते रहिए अपने खुद के घर गावं पहाड़ अपने बच्चों को भी हमेशा याद दिलाए दिखाए की उनका घर पहाड़ उत्तराखंड ही है जिनसे हम जुड़े हुए है और इस तरह उत्तराखंड का पूरी तरह से नहीं तो कुछ हद तक पलायन बंद हो सकता है और उत्तराखंड हमेशा आबाद रह सकता है !!
धन्यवाद !!
लेख
दीपा कांडपाल (गरुड़ बैजनाथ)
(सर्वाधिकार सुरक्षित)

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