देवभूमि उत्तराखंड जहाँ ३३ कोटि देवी देवता बिराजमान है फिर भी वहाँ हर समय बरस रहा कहर कभी आग का तो कभी पानी का कुछ दिन पहले वहाँ पानी के लिए लोग तरस रहे थे जल स्रोत सुख चुके थे आज मेरा पहाड़ पानी पानी हो चूका है आखिर क्यों कैसे कब तक यही सवाल सब के मन मैं है मेरे मन भी यही सवाल उठता है कभी पहाड़ जल जाता है कभी बह जाता है।
कभी केदारनाथ में तबाही तो कभी पिथौरागढ़ डूबता है कभी नैनीताल टूटता है इन सबके पीछे क्या कारण है शायद कोई नहीं जानता सब अपना अपना विचार देते आये है और आगे भी यही होगा मेरा मानना है अगर हम कहते है हमारे भूमि में कण- कण पर भगवान बिराजमान है। जो हमारे पुर्वजो ने सालो पहले उनकी स्थापना की थी। तो आज भी उन्हें उसी तरह क्यों नहीं पूजा जा रहा है।
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