Thursday, August 4, 2016

च्यला चौमास लाग गो

च्यला चौमास लाग गो

पाखेकी धुरी फिर टपकण लागि गे।
कुड़िकी दादर अल्बेर फिर सड़ गो

च्यला चौमास लाग गो।

पाखक बॉसम फिर ढय्युड़ लाग गो ।
हांगा पन  अल्बेर फिर रिहुड पड़ गए ।।

च्यला चौमास लाग गो।

गाड़ गध्यारम पाणी खूब सुसाट हे रो।
गोठ पन गोरुलू  अणाट धुराट लगे रो ।।

च्यला चौमास लाग गो।

खेती पाती सब  चौपट हेगी।
च्यला या ते  बड़ी आफत एगी।।


च्यला चौमास लाग गो।

रचना
श्याम जोशी अल्मोड़ा (अल्मोड़ा -चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
9876417798

1 comment:

  1. बहुत ही सुंदर शब्द हकिकत वाहहह जी ठेठ पहाड़ी

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