Wednesday, February 25, 2015

मेरा पहाड़

जग से न्यारा पहाड़।
वो बड़े- बड़े बर्फीले पहाड़
सबका मन भावन पहाड़ ।।
आस्था विश्वास का ये पहाड़।
हिसालू किलमोड़ी की बहार
भट्ट की चूंटकानी की सौगंध।।
पालक के कपये का आहार
कितना प्यारा
कितना न्यारा है ये पहाड़ ।।
सबको को शीतल।
पानी देता ये पहाड़
ठंडी हवा देता ये सदाबहार।।
कितनी सुन्दर है इसकी छटा।
सबके मन की बातो को कर देता ये बया।।
देखो कितना प्यारा कितना न्यारा है ये मेरा पहाड़ !
कविता - मीनाक्षी बिष्ट
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
मेरा पहाड़
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