इन अनेक रंगों की तरह अपने ज़िन्दगी के रंगो को इन पहाड़ो में समा जाने का दिल करता है !
वो दूर हिमालय से बिखरा हुआ नीला आसमान।
कल कल करती नदियाँ और हरे भरे पेड़ो से भरे ये जंगल।।
कल कल करती नदियाँ और हरे भरे पेड़ो से भरे ये जंगल।।
झरनों से बहता निर्मल पानी अमृत जैसा इनका जल।
बहती ठंडी हवा देखो, करती मन को कितना शीतल।।
बहती ठंडी हवा देखो, करती मन को कितना शीतल।।
तुम भी आ जाओ कुछ दिनों के लिए ही सही मेरी खूबसूरती निहारने !
श्याम जोशी ( सर्वाधिकार सुरक्षित )
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