कुछ दिनों के लिए ही सही अपनों के संग गुजारो पहाड़ में।
जो छूट गए कुछ अपने लोग उनको मिलने आओ इस पहाड़ में।।
बांज के पेडों की जड़ो का पानी पीकर तो देखो पहाड़ में।
ठंडी हवाओं के साथ खुले आसमान में आओ तो सही पहाड़ में।।
पैत्रिक घर में कुछ दिनों के लिए निवास करो मेरे अपने पहाड़ में।
अपनी जमीन की मिटटी के साथ जुड़ो इस अनोखे पहाड़ में।।
अपने बच्चों को भी बताओ हमारा भी घर यही हुआ करता था पहाड़ में।
अपने इष्ट देवों को पूजने आओ अपने पुस्तैनी घर इस पहाड़ में।।
श्याम जोशी अल्मोड़ा
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