Monday, March 16, 2015

हमारे संस्कृति के रिवाज

हमारे संस्कृति
के रिवाज़ों में एक रिवाज ये भी है। जो मन को भावुक करता है। ऎसे तो मुझे अपनी यहाँ की शादी देखनी बेहद पसंद है पर कुछ पल बुहत ही मन को भावुक करने वाले होतें है। उन्हें देख कर आँखे नम हो जाती है। उस में से एक ये पल भी है जो भी इसको देखता है जरूर उसकी आँखों में पानी आता होगा। पिछली पोस्ट में मैने अपनी शरारतें बतायी थी पर में रिश्तो को समझता भी हूँ क्यों की अब थोड़ा बड़ा हो गया हूँ। पर बता दू मन से अभी बच्चा हूँ अच्छा लगता है आप लोगों का सहयोग मिलता है इसी तरह आगे भी बना रहेगा आशा करता हूँ।
गडुवकी धारा
दियो दियो बोज्यो - दियो दियो बोज्यो गडुवकी धारा !
मेरी ईजू ना रो नि मारा डाडा वे दूध की धार कुश क झाड़ा गडुवकी धारा।

श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )

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