Monday, August 3, 2015

संस्कृति के रिवाज

हमारे संस्कृति के रिवाज तो वैसे सभी अच्छे लगते है कुछ हमें खुशियाँ दे जाते है तो कुछ उदासियाँ उन्ही में से एक यह रिवाज हमारी संस्कृति का अहम हिसा है। यह रिवाज मन को भावक करने वाला है शायद अपने भाई के संग बचपन के दिन भी याद दिलाता है कुछ मौजमस्ती कुछ लड़ाइयाँ उन सब पलों को याद दिलाता है ।

Shyam weds manisha देखो भैया जब थी तुम्हारे संग 
तुम करते थे मुझे बुहत तंग 

आज में इस घर से बिरान हो रही हूँ 
तो तुम हो रहे हो परेशान 

यह कैसा रिश्ता है कैसी रस्म है 
जो हर लड़की को निभानी है 
उस आँगन में हम 

एक पंछियो की तरह रहते थे 
जब लगे पर तो
हमारा भी घोंसला दिया बदल।।


श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )

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