Monday, September 28, 2015

उत्तराखंड का हरिद्वार धाम

उत्तराखंड का हरिद्वार वो पवित्र तीर्थ स्थान है जहाँ पूरी दुनियाँ से कई भक्त जन आते है हरिद्वार का अर्थ हरि "(ईश्वर)" का द्वार होता है जब पक्षी गरुड़ अमृत कलश को समुद्र मंथन के बाद ले जा रहे थे तब अमृत की कुछ बूँदें भूल से कलश से नीचे हरिद्वार में भी गिर गयीं थी जहाँ कुंभ स्नान होता है वही हर की पौडी को ब्रह्म कुंड माना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है 'ईश्वर के पवित्र पग' हरिद्वार में गंगा जी सीधा गौमुख गंगोत्री से पहाड़ी नदियों के रास्ते सीधा गंगा के मैदानी क्षेत्रों में प्रवेश करती है हरिद्वार को गंगाद्वार के नाम से भी जाना जाता है !


हर की पौड़ी हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाता है  इसका निर्माण राजा विक्रमादित्य ने पहली शताब्दी ईसा पूर्व में अपने भाई भ्रिथारी की याद में बनवाया था हर की पौड़ी ब्रम्ह कुण्ड नाम से प्रसिद्द है पूरे भारत से भक्तों और तीर्थयात्रियों के जत्थे त्योहारों या पवित्र दिवसों के अवसर पर स्नान करने के लिए यहाँ आते हैं यहाँ स्नान करना मोक्ष प्राप्त करने के लिए आवश्यक माना जाता है संध्या समय की आरती का सुंदर दृश्य स्वर श्रद्धालु जनों का मन मोह लेती है दियों की रौशनी में गंगा माँ की चमक देखते बनती है भक्त जन अपने पूर्वजों की शांति के लिए गंगा नदी में फ़ूल और जलते दिए प्रवाहित करते है !

हरिद्वार प्रकति प्रेमियों के लिए स्वर्ग सा सुंदर माना जाता है यहाँ आना उनके लिए आनंद का अनुभव है यहाँ मनसा देवी मंदिर जो हरिद्वार शहर से ३ किलोमीटर पहाड़ी पे स्थित है जहाँ पैदल भी जाया जाता है और उड़नखटोला (ट्रॉली) से भी जा सकते है बेहद सुंदर माँ का मंदिर यह मँदिर मनसा देवी को समर्पित है मनसा देवी ऋषि कश्यप के दिमाग की उपज है  मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है इनका पादुर्भाव मस्तक से हुआ इस कारण माँ का नाम मनसा पड़ा इस मंदिर में भक्त अपनी मन्नत के लिए पेड़ पे पवित्र धागा बांध जाते है जब उनकी मन्नत पूरी होती तो वापिस एक बार फिर यहाँ आते है !

हरिद्वार में ही एक तरफ़ की पहाड़ी पे मनसा माँ है  वही दूजी और की पहाड़ी पे चंडी देवी मंदिर है जो की नील पर्वत के शिखर पे स्थित है यह मंदिर ५२ शक्ति पीठों में से एक माना जाता है धार्मिक मान्यता के अनुसार यह माना जाता है की जहाँ मनसा देवी होंगी वहीं माँ चंडी देवी का होना भी जरुरी माना गया है मान्यता के अनुसार सिद्धिरात्री चंडी देवी ने शुंभ और निशुंभ असुरों का वध इसी स्थान पे किया था यहाँ शिवालिक पर्वत श्रृंखला पर स्थित  नीलकंठ महादेव मंदिर के पास शुंभ निशुंभ पर्वत आज भी है यहाँ पे भी भक्त अपनी मन्नत पूरी हो जाने के लिए माँ से प्रार्थना करते है !

अनेकों मंदिरो से भरा पूरा हरिद्वार जहाँ  माया देवी मंदिर, सप्त ऋषि आश्रम, दक्ष महादेव मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर ,लाल माता मंदिर, इत्यादि हर एक मंदिर हरिद्वार का भक्तों के लिए आस्था का प्रतिक है यहाँ से थोड़ी दुरी पे ही कनखल है और ऋषिकेश हरिद्वार से २५ किलोमीटर दुरी में है जो भक्त यात्री हरिद्वार आता है वो ऋषिकेश भी जरूर आता है ऋषिकेश को चार धामों का प्रवेश द्वार माना जाता है यहाँ आके तीर्थ यात्रियों को अपार शांति का अनुभव होता है ऋषिकेश में ही सभी तीर्थ यात्री राम झूला,लक्ष्मण झूला,त्रिवेणी घाट, इत्यादि देखने को आते है अध्भूत सुंदर है उत्तराखंड की यह भूमि महान जहाँ बस्ता यह पावन हरिद्वार धाम !!


लेख 
दीपा कांडपाल (गरूर बैजनाथ)
(सर्वाधिकार सुरक्षित)

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