जब भी सुख शांति का आभास होता है तो याद आता है मेरा पहाड़।
जब कभी याद आता है माँ का बनाया हुआ खाना तो याद आता पहाड़।।
जब कभी याद आती है बचपन की तो तब भी याद आता मेरा पहाड़।
आज भी जब मन बेचैन हो उठता है तो तब भी याद आता है मेरा पहाड़।।
गर्मियों के दिनों में जब पीता हूँ बोतल से पानी तब भी याद आता है मेरा पहाड़।
जब पकते है पहाड़ में हिसालू और काफल तब भी याद आता है मेरा पहाड़।।
चाए में यहाँ सब कुछ पा लू फिर भी कम होगा क्योकि हर पल याद आता है मेरा पहाड़।
वो पहाड़ जहाँ मेरी जन्म भूमि है जहाँ है मेरे ईस्ट देवता जहां है बुजर्गो का आशीर्वाद वही है मेरा पहाड़ हम सबका पहाड़।।
आइए अपने मातृभूमि को सलाम करें और अपने पहाड़ को याद करें।
रचना श्याम जोशी की कलम से
आभार
श्याम जोशी (अल्मोड़ा )
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