Monday, March 16, 2015

मैं पहाड़ बुलाण रोऊ

किले गया तुम या बाटिक
के बिगाड़ मैल तुमर
मैले तुमारा नान तिन सेथा
सेथी पायी बेर ठुल करा

आपण खुटा में हिटनी बाँड्या
किले गया तुम या बाटिक
के बिगाड़ मैल तुमर
ताजी हाव तुमको या मिली

ठंड पाणी याक भल लागु
फिर ले तुम या बाटिक गया
किले गया तुम या बाटिक
के बिगाड़ मैल तुमर
वाक तुमके सड़ी फल भल लगानी

याक बोटोवाक काफूव तुम भूल गच्छा
के बिगाड़ मैल तुमरहर मौसम में तुमको ताज़ी फल ख्वउनु
किले गया तुम या बाटिक मैके छोड़ बेर
के बिगाड़ मैल तुमर,

गर्मी दिना जब तुम शहरो में ,
गरम ले पाका छा तब तुमको में याद उनु
फिर कुछा हिटो दुइ दिन पहाड़ जे उनु
किले गया तुम या बाटिक

के बिगाड़ मैल तुमर
दुइ दीना ली जी तुम या उछा
फिर चढ़ वाई उड़ बेर फर ने झछा
वा जे बेर फ़ेकबुकम फोटो डाली बेर

आपन प्राण झुरा छा
किले गया तुम या बाटिक
के बिगाड़ मैल तुमर

श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )

No comments:

Post a Comment