Monday, March 16, 2015

मेरे लिए तो पहाड़ मेरे माँ का आंचल है

मेरे लिए तो पहाड़ मेरे माँ का आंचल है

बुरांस के फूलो की सौगंध सब को भाती है।
बेड़ू यहाँ पर बारोमास पकते है।।
PAHAD SHYAM JOSHI

चैत में काफल सब के मन को लुभाते है।
हिसालू के टूटे मनके कोई नही भूलता।।

क़िलमोड़ी और घिंघारू का चटपटा स्वाद यहाँ का निराला है।
भट की चुणकाणी और झुंगर का भात  भुला नही जाता है।।

मूली-दही डाल के साना हुआ नीबू पहाड़ जाने को बेचैन करता है।
ईजा के हाथ की मडुवे की रोटी हमेशा दिल में रहती है।।

और वो पालक का कापा खाने को फिर जी करता है।
 ढिटालू की बंदूक फिर बचपन को बुलाने में मजबूर करती है।।


मेरे लिए तो पहाड़ मेरे माँ का आंचल है



श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )

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