मेरे लिए तो पहाड़ मेरे माँ का आंचल है
बुरांस के फूलो की सौगंध सब को भाती है।
बेड़ू यहाँ पर बारोमास पकते है।।
चैत में काफल सब के मन को लुभाते है।
हिसालू के टूटे मनके कोई नही भूलता।।
क़िलमोड़ी और घिंघारू का चटपटा स्वाद यहाँ का निराला है।
भट की चुणकाणी और झुंगर का भात भुला नही जाता है।।
मूली-दही डाल के साना हुआ नीबू पहाड़ जाने को बेचैन करता है।
ईजा के हाथ की मडुवे की रोटी हमेशा दिल में रहती है।।
और वो पालक का कापा खाने को फिर जी करता है।
ढिटालू की बंदूक फिर बचपन को बुलाने में मजबूर करती है।।
मेरे लिए तो पहाड़ मेरे माँ का आंचल है
श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
बुरांस के फूलो की सौगंध सब को भाती है।
बेड़ू यहाँ पर बारोमास पकते है।।
चैत में काफल सब के मन को लुभाते है।
हिसालू के टूटे मनके कोई नही भूलता।।
क़िलमोड़ी और घिंघारू का चटपटा स्वाद यहाँ का निराला है।
भट की चुणकाणी और झुंगर का भात भुला नही जाता है।।
मूली-दही डाल के साना हुआ नीबू पहाड़ जाने को बेचैन करता है।
ईजा के हाथ की मडुवे की रोटी हमेशा दिल में रहती है।।
और वो पालक का कापा खाने को फिर जी करता है।
ढिटालू की बंदूक फिर बचपन को बुलाने में मजबूर करती है।।
मेरे लिए तो पहाड़ मेरे माँ का आंचल है
श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
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