रक्षा बंधन का त्यौहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक होकर चारों ओर अपनी छटा को बिखेरता सा प्रतीत होता है सात्विक एवं पवित्रता का सौंदर्य लिए यह त्यौहार सभी जन के हृदय को अपनी खुशबू से महकाता है !
राखी की डोरी बनी तो है कच्चे धागे से पर एक अनमोल रिश्ता है,भाई-बहन के बीच प्यार, मनुहार व तकरार होना एक सामान्य सी बात है। लेकिन रक्षा बंधन के दिन बहन द्वारा भाई के हाथ में बांधे जाने वाले रक्षा सूत्र में भाई के प्रति बहन के असीम स्नेह और बहन के प्रति भाई के कर्तव्यबोध को पिरोया गया है।
प्रेम व कर्तव्य का यही भाव भाई-बहन के संबंधों को आजीवन मजबूती देता है। इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है कलाई पर रक्षा सूत्र बांध उसकी आरती कर उसके दीर्घ जीवन की कामना करती है,भाई भी बहन की झोली उपहारों से भरते हुए संकट की हर घड़ी में सहायता के लिए तत्पर रहने का वचन देता है।
भारतीय संस्कृति में कथा, पूजा एवं विभिन्न संस्कारों के समय रक्षा सूत्र बांधने का विशेष महत्व है,और हमारे पहाड़ में इस त्यौहार को एक और नाम से भी जाना जाता है,जन्यापून्यू' आज के दिन जिसका का जनेऊ (व्रतबंध) हुआ होता वो आज के दिन जनेऊ बदलता है, पुरानी जनेऊ को तुलशी के पेड़ पर अर्पित किया जाता है और नया जनेऊ मंत्रो के साथ धारण किया जाता है।
रंगीलो कुमाँऊं छबीलो गढ़वाल की तरफ से भाई बहन के इस पवित्र त्यौहार रक्षा बंधन की सभी मित्रो को हार्दिक शुभकामनाएं !
श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
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