कदुक भल पहाड़ होइ म्यर जन्म।
ईज ले काखी धरो बोज्यो धरो कानिम।।
उधड़ी कमीज पैरी फाटी पैरी पैजम।
टाल लगेबेर पेंट में जांछी स्कूलम्।।
मड़ुवाक रवाट खायो झुंगर क खायो भात।
आमा बुबुक दागड रुछि साथ।।
हमर घर तुमर घर के नी छी पत।
जेक ले घर जांछी वा रुछि मस्त।
कतके उवाल दरिम बाटिक।
कतके पाल दरिम बाटिक।।
कैके चोर नीबू कैके चोर काकड़।
दिन भरी नाड़म रुछि ग़ध्यारम।।
पे म्यार कदुक भल दिन छी आपण पहाड़म।।
श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
No comments:
Post a Comment