Thursday, March 12, 2015

फिर याद एगो आज बचपन

कधीने वल धारम कधीने पल धारम।
फिर याद एगो आज बचपनकधीने ताल गाडंम कधीने माल गाडंम।।

ग्वोरु दागड में हमकू ले पड़ रुछि नाड़।
जब लगाछी घर बाटिक धात।।

तब दिनका बाज रुछि चार।
ईज बोज्यू कुछी नी हे च्यला।।

गोरुकु घर ल्यूणक टेम।
तब हम कुछी ईजा- ईजा।।

एक ग्वोर उजाड़ न्हैगो ।
कधीने वल धारम कधीने पल धारम।।

श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )

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