Thursday, March 12, 2015

सैम देवता

सैम देवता माना जाता है शिव भगवान का एक रूप और जहाँ तक देखा गया शिव जी भी ऊँचे -ऊँचे पहाड़ो में बसे है ऐसी ही सैम जी का मंदिर भी गांव में सब से ऊपर बनाये गए है। सैम देवता को जगत के मामू भी कहा जाता है जब भी कभी गांव में बेसी लगती है सबसे पहले इनको भोग लगाया जाता है , हमारे यहाँ एक और खास बात है जहाँ हर देवता होते है।
सैम देवतावहाँ कत्यूरी देवता नही होते है। हर देवता में इनका एक भ्रातृमंडल कायम है !स्यूरा, त्यूरा, दीवान उजलिया,दीवान और खोलिया, मेलिया, मंगिलाया सब इनके शिष्य है।शक्ति का असली रूप देखने को मिलता है। जब गांव में बेसी लगायी जाती है। जलती हुई धुनी में हाथ डाल कर आग के डांगरो को पकड़ना और भिभूति भी इसी तरह निकाली जाती है। जब भी बेसी में कोई नोताड नाचता है तो उसकी परीक्षा ली जाती धूनी के अंदर लाल -लाल चिमटे लगाये जाते है। और इस समय बड़े बिधि बिधान से रहना पड़ता है २ समय नहाना एक समय का खाना साल के श्रावण मास में बेसी लगायी जाती है।

इस तस्वीर में जो आप को मंदिर नजर आ रहा है यह मेरे गांव का मंदिर है "सैम देवता" इस मंदिर की काफी विशेषतायें है। इस मंदिर के आस -पास जो चीड़ के पेड़ खड़े है इनके बारे किसी को नही पता युग युगों से ऐसी ही नजर आते है और इनको काटना सख्त मना है ये मना किसी इन्शान ने नही किया है आप इनको काटोगे तो आप के साथ किसी भी प्रकार की दुर्घटना घट सकती है। एक बार किसी दूसरे गांव के आदमी ने यहाँ आ कर पेड़ काटना चाहा हुआ क्या कुल्हाड़ी से उसका पैर कट गया और वो पेड़ आज तक जीवत है उसमें अभी भी कटा हुआ निशान नजर आता है।

सच कहु तो हमारा पहाड़ आस्था का प्रतीक है और ये सच भी है !
श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )

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