Thursday, March 12, 2015

ईजा की आस

तेरी मुखडी आँखों मैं रिटी रे छै,
में आस लाग रुनु चल्या त्यर घर उणीकी,
धेइ बैठी बेर देखनु पटागण बैठी बेर देखनु,
तेरी मुखडी आँखों मैं रिटी रे छै,
म्यर च्यल घर आल कबेर,
के नी चेन मेके त्यर लाई,
बस तु आपण मुखडी देखा जा,
जब ले उनी त्यार ब्यार,
२ रोटा खातिर तिल घर बार छोड़ ,
रति उठनु तेरि फ़ोटो देखनु,
आँखों में आँसू भर उनी,
च्यला कब आले तू घर
मी त्यर बाट रोज देखनु
तिकें मेरी याद नि ओनी,
में तेरी आस लाग रई,
च्यला तु आले ना घर ,


श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )

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