Monday, March 16, 2015

मुक्तेश्वर उत्तराखंड

कुमाऊं की पहाड़ियों में बसा मुक्तेश्वर उत्तराखंड की एक खूबसूरत जगह जहाँ जा कर आप को जन्नत का आभास होगा। अल्मोड़ा से मुक्तेश्वर की दुरी ३२ किलोमीटर है। यहाँ का वातावरण हर मौसम में लग- भग ठंडा रहता है। जैसा की मैने वहाँ पर लोगोँ को देखा हल्के ऊनी कपड़े पहने हुए थे। और आस -पास में देवदार के जंगल इस जगह की खूबसूरती को दोगुना करते है। वैसे तो पूरा मुक्तेश्वर ही देखने लायक है।जहां जाएंगे वहां ऐसा लगेगा मानो प्रकृति अपनी गोद में बिठाकर लोरी सुनाने को आतुर हो। मुझे यहाँ जा कर प्रकति का वास्तविक आभास हुआ ।

mukteshwar
पहाड़ी पर बने शिव मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं और साथ में ही ५० मीटर की दुरी पर एक चौली की जाली है जिस का नाम भी पहली बार सुना और देखी भी पहली बार वहाँ पर काफी बड़े -बड़े विशाल काय पत्थर है। वहाँ के लोगोँ से जब मैने पूछा इस पत्थरो के बारे में तब मुझे बताया गया। यहां देवी और राक्षस के बीच युद्ध हुआ था। ये एक पहाड़ की चोटी है जिसकी सबसे ऊपर वाली चट्टान पर एक गोल छेद है। कहा जाता है कि अगर कोई निःसंतान स्त्री इस छेद में से निकल जाए तो उसे संतान की प्राप्ति होती है। पहाड़ की चोटी से आस -पास के पहाड़ो का सुंदर नजारा देखने को भी मिलता है।
 मंदिर से निचे जाते समय एक रिसर्च इंस्टीट्यूट "आईवीआरआई" (इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट ) है जहां जानवरों पर रिसर्च की जाती है। यह इंस्टीट्यूट सन्‌ 1893 में बनवाया गया था।


श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )

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