Monday, September 21, 2015

कोट की भ्रामरी देवी भगवती


देव भूमि उत्तराखंड यहाँ कुमाऊँ के गरुड़ बैजनाथ से ३ किलोमीटर दुरी पे कोट की भ्रामरी देवी भगवती का मंदिर एक ऊँची चोटी पे स्थित है यह उत्तराखंड का प्रमुख तीर्थ स्थल है माता कोट भ्रामरी के मंदिर का निर्माण कब व किसने किस प्रकार किया उसका यहाँ पता नहीं चलता क्योँ की यह एक रहस्य का विषय बना हुआ है रणचूला नाम से विख्यात इस स्थान पर कभी कत्यूरी राजाओं ने अपना किला बनवाया था वैसे तो मंदिर से जुड़ी कई कथाएँ बातें लोग करते है।
इस मंदिर से जुड़ी एक कथा यह है जो सुनने में आती है कि एक समय यह समूची कत्यूर घाटी जल प्लावन के कारण पानी में डूबी हुई थी तथा जल के भीतर अरुण नामक दैत्य ने अपनी राजधानी बनाई हुई थी । इस दैत्य के आतंक से परेशान देवताओं को प्राण देने के लिए शक्ति रुपा देवी ने भ्रामरी रुप धारण कर दैत्यों का अंत किया था । इस कथा का ज़िक्र दुर्गासप्तशती में भी बताया गया है।
मंदिर में प्रति वर्ष भाद्रपद की राधा नंदा अष्टमी को मेला लगता है यहाँ माँ शक्तिपीठ के रूप में विराजमान है देवी भगवती कत्यूरियों की अधिष्ठात्री कुल भ्रामरी चंदवंशियों की भी कुल देवी रही है शक्ति रूप में स्थित इस देवी दरबार महात्म्य के बारे में कहा जाता है कि पूर्व में यहां पर केवल माता भ्रामरी की पूजा अर्चना होती थी लेकिन अब वर्तमान में मां भ्रामरी के साथ भगवती नन्दा की पूजा का भी विधान है।
यह मंदिर अध्भूत है यहाँ की चारो और दिव्य वादियाँ अलोकिक शांति एक अध्भूत एहसास भक्त जनों को अपनी और आकर्षित कर देती है। भक्त जन बड़ी दूर दूर से माँ के पास अपनी मन्नत पूरी करने श्रद्धा विश्वास के साथ आते है और कोई भक्त माँ के दर से खाली हाथ नहीं जाता लोगों की मन्नत जब पूरी होती है तो भक्त माँ के दरबार में दोबारा अपनी हाज़री जरूर लगाता है सच में कोट भ्रामरी भगवती माँ के दर्शन से जीवन में एक शान्ति सुकून जरूर मिलता है।
लेख
दीपा कांडपाल (उत्तराखंड)
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
तस्वीर - मनोज भट्ट











                                                 दिनांक :- 22-09-2015 उत्तरांचल दीप में छपा मेरा लेख गरूर बैजनाथ की भ्रामरी देवी    









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