कदुक भल कदुक रंगील म्यर पहाड़।
डान कान गों गाड़ छ या बड़ महान।।
ताजी हाव् याकि ठंड ठंड पाणी।
जाग जाग के पाणिक नोऊ यति।।
जेठ्क मैहिणं काफुवकि बहार।
दागड़ में हिसावुक मिठ मिठ मिठास।।
ह्यूनम घाम भै बैर निमुक भल स्वाद लागू।
ब्याउ के भांग खिति गडरिक साग स्वाद न्यार हुँछू।।
हिटो रे दादाओं हिटो रे भुलियो न्हें जानु पहाड़।
वे छे हमर गों गाड़ उतकी छी हमरी पहचाण।।
श्याम जोशी अल्मोड़ा ढेली
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
डान कान गों गाड़ छ या बड़ महान।।
ताजी हाव् याकि ठंड ठंड पाणी।
जाग जाग के पाणिक नोऊ यति।।
जेठ्क मैहिणं काफुवकि बहार।
दागड़ में हिसावुक मिठ मिठ मिठास।।
ह्यूनम घाम भै बैर निमुक भल स्वाद लागू।
ब्याउ के भांग खिति गडरिक साग स्वाद न्यार हुँछू।।
हिटो रे दादाओं हिटो रे भुलियो न्हें जानु पहाड़।
वे छे हमर गों गाड़ उतकी छी हमरी पहचाण।।
श्याम जोशी अल्मोड़ा ढेली
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
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