Tuesday, January 31, 2017

बसन्त के रंग

चलो ढूंढते है वो बसन्त के रंग।
खो चुके है हमारे आत्तितो के संग।।

न ही अब वो रंग रहा न ही बसंत
शायद हम बदल चुके है या हमारा मन

बचपन कितना प्यारा था होती थी सबके मुँह पर मुश्कान
माँ पहना देती थी पीले वस्त्र और गले में लटका देती रुमाल ।।

जाने कहा खो सा गया वो बचपन वो अल्हड़पन ।
हम बदल गए हम बड़े हो  गए भूल गए बचपन ।।

आज  फिर से ढूंढते वो शाम मैदान जहाँ होते थे हम एक  सब साथ
गगन के उन रंगों को छूना चाह्ते एक दूसरे के कंधे पे रखकर हाथ ।।


रचना
श्याम जोशी चंडीगढ़ - अल्मोड़ा


Thursday, January 19, 2017

आवाज उत्तराखंड


उत्तराखंड में आजकल चुनावो की तैयारियां बड़ी जोरों से चल रही हरेक नेता अपने वोट के लिए कुछ न सुने कुछ न होने वाले दावे करते नजर आ रहे है गाँवो में जाकर गाँव की भोली जनता को अलग अलग दावों से अपना वोट मागते नजर आ रहे है ।
अब बात करता हूँ अगर उत्तराखंड में नेताओं ने नेता गिरी करनी है चाहे वो बीजेपी हो या कांग्रेस या फिर कोई और पार्टी इनको एक बात में समझा दू तुम लोगो को उत्तराखंड में अपनी पार्टी की मदद से राज करना है तो एक बात दिमाग से सोच लो अगर वहाँ जनता ही नही रहेगी तो तुम क्या कर लोगो अकेला चना भाड़ नही तोड़ता यार तुम को इतना तो समझना चाहये तुम वहाँ की जनता को कब तक बेकूफ़ बनाओगे यार कब तक जनता ने तुम्हारा साथ देना छोड़ दिया है
उत्तराखंड पर इस समय सबसे बड़ा संकट है तो वो है पलायन का जो हर साल बढ़ता जा रहा इसके लिए हमारी सरकारों को हर हालात में पलायन पर सुधार लाना होगा तभी तुम यहाँ आने वाले समय में चुनाव लड़ोगे नही तो यहाँ जनता नही रहेगी तो तुम अपना सर फ़ोडगे इसके लिए सबसे पहले उत्तराखंड में पढ़ाई के साधन उपलब्ध कराए इसकी बड़ी समस्या बन गयी है आज वहाँ का हर इंसान इसी लिए पहाड़ छोड़कर शहर की तरफ निकलता है उसे अपने बच्चो का भवस्य बेहतर बनाना है और इसके लिए उसे पहाड़ में कुछ नही दीखता और वो शहर की राह पकड़ता है ।
अब आती है बात नोजवानों को रोजगार की बात दूसरा करण ये है वहाँ हम जैसे नोजवानों के लिए को रोजगार नही है। सरकारे सुनती नही और रही बात वहाँ की खेती की तो खेती के लिए प्रकति पर निर्भर रहना पड़ता है क्योंकि वो है बारिश जो होती नही तो खेती में इतना कुछ नही होता है तो बताएं वहाँ का नोजवान कहाँ जाएं और वहाँ का बच्चा क्या करे कैसे चुने अपना भवस्य अगर ये सब समस्याए खत्म हो जाये तो वहाँ का इन्शान वही हो कोन नही चाहता है वो अपने घर में रहे ये तो हम सबकी मज़बूरी है जो हम अपने दिल पे पत्थर रखकर निकल जाते है ।
उत्तराखंड जनता की आवाज
मेरी कलम से
श्याम जोशी