Friday, March 8, 2019

आना होगा पहाड़

आना होगा पहाड़ 

में एक ऐसे प्रदेश से आता हूँ जहाँ जन्नत का अहसास होता है और जहाँ जाने के लिए सबका मन करता है वह देश कोई और नहीं है मेरा उत्तरांचल प्रदेश है। 

सुननी है अगर आपको शेर की दहाड़ आना होगा मेरा पहाड़।  
अगर आपको फूलों की बेली देखनी होगी तो आना होगा पहाड़।। 

अगर आपको देखनी है बर्फ से ढका हिमालय तो आना होगा पहाड़।
अगर आपको लेनी है पहाड़ो की ताज़ी हवा आना होगा मेरा पहाड़।। 

अगर करना है खुली हवाओं में योग आना होगा मेरा पहाड़। 
अगर लेनी है आपको चैन की नींद तो आना होगा मेरा पहाड़।।

देखनी है नदियों की कल- कल छल-छल आना होगा मेरा पहाड़।
पीना चाहते हो अगर शीतल पेय जल तो आना ही होगा मेरा पहाड़।।



कविता 
श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
फोटोग्राफ़ी -श्याम जोशी

फिर नया सबेरा होगी भोर

फिर नया सबेरा होगी भोर
फिर नया सबेरा होगा आज फिर होगी भोर।
फिर भी होती है उसके हाथ में घर चलाने की डोर।।

मन ही मन में रोती फिर भी बाहर से हँसती है।
बिखरे घर को वो बार- बार सवारती है।।

सुबह शुरु होते ही लग जाती है बिना रुके हुए मशीन की तरह।
न थकती न हारती सबको खाना खिलाकर बाद में वो खाती।।

अपनी फटी हुई एड़ियों को सबसे छुपाती।
घर की सारी जिम्मेदारी खुद उठाती।।

शादी के बाद जब लड़की से बनकर जाती नारी ससुराल।
भूल जाती है वो अपने मायका अपने माँ पापा का प्यार।।



कविता
श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
फोटोग्राफ़ी -श्याम जोशी