Friday, February 9, 2018

तू मिठ मिठ गुड़ जसि

तू मिठ मिठ अल्मड़े की बाल मीठे जसि ।
मैं चट बट गरम पाणी पकोड़ी जसि।।

तू चिप चिप रामनगर की घिनोड़ि गुड़ जसि।
मैं सख्त सख्त घनसाली अखरोड़  जसि।।

तू पिंगव पिंगव खट्ट खट्ट निमू जसि।
मैं तिख तिख भाँगकी चटनी जसि ।।

तू प्योलड़ी पिल पिल फुलपट्ट जसि।
मैं सो बोटक स्योतंक सुखि दाम जस।।

तू नरम नरम ड़ई घ्यू जसि।
मैं काव काव मंडूक रौट जस ।।

तू भाभर चटकली घाम जसि ।
मैं मुनस्यारी ह्यू पहाड़ जस ।।

रचना
श्याम जोशी अल्मोड़ा

नि लागन म्यर पारण

ईजा य परदेसम नि लागन म्यर पारण ।
घराक का घुघुत हराण त्यर बुलाण हराण ।।

बंडक का पिनौव हराण त्यर म्यर लाटा कूण हराण ।
त्यार ब्यार हराण त्यर बड़ाई भटक डुबक हराण ।।

आपणी न्हें कौवे या पच्छयाण ते छू म्यर पाराण ।
आपण मूलक छोड़ी मैल छोड़ी आपण कार बार ।।

द्वी रावटक खातिर छोड़ मैल आपण पहाड़ ।
कैके के दिनु दोष य छू म्यर पापी पेटक काम ।।

जे लिजगी मैले घर छोड़ि आपण जन्म भूमि छोड़ ।
फिर ले या त्यर म्यर सब हराण ईजा तेरी भौते याद आण।।

कविता
श्याम जोशी अल्मोड़ा