Friday, February 9, 2018

नि लागन म्यर पारण

ईजा य परदेसम नि लागन म्यर पारण ।
घराक का घुघुत हराण त्यर बुलाण हराण ।।

बंडक का पिनौव हराण त्यर म्यर लाटा कूण हराण ।
त्यार ब्यार हराण त्यर बड़ाई भटक डुबक हराण ।।

आपणी न्हें कौवे या पच्छयाण ते छू म्यर पाराण ।
आपण मूलक छोड़ी मैल छोड़ी आपण कार बार ।।

द्वी रावटक खातिर छोड़ मैल आपण पहाड़ ।
कैके के दिनु दोष य छू म्यर पापी पेटक काम ।।

जे लिजगी मैले घर छोड़ि आपण जन्म भूमि छोड़ ।
फिर ले या त्यर म्यर सब हराण ईजा तेरी भौते याद आण।।

कविता
श्याम जोशी अल्मोड़ा

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