ईजा य परदेसम नि लागन म्यर पारण ।
घराक का घुघुत हराण त्यर बुलाण हराण ।।
बंडक का पिनौव हराण त्यर म्यर लाटा कूण हराण ।
त्यार ब्यार हराण त्यर बड़ाई भटक डुबक हराण ।।
आपणी न्हें कौवे या पच्छयाण ते छू म्यर पाराण ।
आपण मूलक छोड़ी मैल छोड़ी आपण कार बार ।।
द्वी रावटक खातिर छोड़ मैल आपण पहाड़ ।
कैके के दिनु दोष य छू म्यर पापी पेटक काम ।।
जे लिजगी मैले घर छोड़ि आपण जन्म भूमि छोड़ ।
फिर ले या त्यर म्यर सब हराण ईजा तेरी भौते याद आण।।
कविता
श्याम जोशी अल्मोड़ा
घराक का घुघुत हराण त्यर बुलाण हराण ।।
बंडक का पिनौव हराण त्यर म्यर लाटा कूण हराण ।
त्यार ब्यार हराण त्यर बड़ाई भटक डुबक हराण ।।
आपणी न्हें कौवे या पच्छयाण ते छू म्यर पाराण ।
आपण मूलक छोड़ी मैल छोड़ी आपण कार बार ।।
द्वी रावटक खातिर छोड़ मैल आपण पहाड़ ।
कैके के दिनु दोष य छू म्यर पापी पेटक काम ।।
जे लिजगी मैले घर छोड़ि आपण जन्म भूमि छोड़ ।
फिर ले या त्यर म्यर सब हराण ईजा तेरी भौते याद आण।।
कविता
श्याम जोशी अल्मोड़ा
No comments:
Post a Comment