Wednesday, February 3, 2016

पहाड़ में शराब या शराब में पहाड़

हमारे पहाड़ विकास की दौड़ मॆं भले ही पीछे हों लेकिन आधुनिकीकरण के नाम पर यहाँ वाइन बार अवश्य खुल रहे हैं।यहाँ मुख्यमंत्री की नशा मुक्त प्रदेश योजना उल्टे पाँव चल रही  है।पहाड़ों के अधिकाँश गाँव पहले से ही नशे मॆं डूबे हैं,ऐसे मॆं इस तरह बारों के खुलने से यहाँ के युवाओं को नशे के सुलभ रास्ते  मिल रहे हैं।

हमारे पहाड़ विकास की दौड़ मॆं भले ही पीछे हों लेकिन आधुनिकीकरण के नाम पर यहाँ वाइन बार अवश्य खुल रहे हैं।यहाँ मुख्यमंत्री की नशा मुक्त प्रदेश योजना उल्टे पाँव चल रही  है।पहाड़ों के अधिकाँश गाँव पहले से ही नशे मॆं डूबे हैं,ऐसे मॆं इस तरह बारों के खुलने से यहाँ के युवाओं को नशे के सुलभ रास्ते  मिल रहे हैं।

पहाड़ों की भौतिक विषमता संशाधनों का अभाव यहाँ के युवाओं की बेरोज़गारी का मुख्य कारण है।रोजगार की तलाश में या तो युवा गाँवों से शहरों को पलायन कर जाते हैं,या रोजगार की तलाश मॆं इधर से उधर भटकते रहते हैं।समुचित रोजगार ना मिलने के कारण युवाओं में हीन भावना घर कर जाती है,जिसका उपाय युवाओं को नशे में नजर आता है.ऐसे मॆं क़दम क़दम की दूरी पर शराब की दुकानें तथा बार खुलने से यहाँ के भटकते युवाओं की जिन्दगी दिन प्रति दिन बदतर होती जा रही है।

मैं नशे के इस दर्द को अनुभव कर सकती हूँ,  क्योंकि मेरे घर से 10 किलोमीटर की दूरी पर  वाइन बार खुलने से मैं यहाँ के युवाओं की जिन्दगी बर्बाद होते हुए देख रही हूँ। साथ में उनके परिवार की भी बच्चों के पढ़ाई पर असर पड़ता है जो बच्चें अभी छोटे है उनके मानसिक संतुलन पर ख़ासा असर पड़ता है। 

पहाड़ो में रोजगार के साधन काफी है जिन्हें हमारी सरकार अनदेखा करती है अगर यही सरकार हर गांव में सब्जी उगाने के लिए या फिर कई और रोजगार है गाँवो में जाकर उनको कुछ अपनी तरफ से कुछ गांव वाले मदद करके वहाँ साग सब्जी और फलों का अच्छा रोजगार बन सकता है।  जिसे हम दूसरे राज्य में भी बेच सकते है पर हमारी सरकारें कहती है गाँव वालो को भांग की खेती करो भाँग चरस  इन चीजो ने अभी हमारे पहाड़ को खोखला बना के रख दिया है। 

यदि पहाड़ के युवाओं को शारीरिक,मानसिक तथा भौतिक रुप से सम्पन्न बनाना हो तो सरकार को पहाड़ों में रोजगार के नए आयाम तलाश करने होंगे,तथा शराब की दुकानों  वाइन बारो अवैध रुप से बनायी जा रही शराब तथा भाँग चरस आदि से नशे के बाज़ार को धुआँ देने वाले लोगों के खिलाफ़ सख्त कार्यवाही करनी होगी ।

मुझे दुःख तब होता है में भी उसी गांव के बेटी हूँ जहाँ पर रोजगार के साधन कम है हमारे माँ बाप हमें बड़ी मुश्किलो से पढ़ाते है।  और हमारे आज की पीढ़ी इसको ना समझ के नसा को अपना शौक मान रही है। इन बेकार की लत्तो से जब तक हमारी युवा पीढ़ी का पाला नही छूटेगा तब तक कुछ होना सम्भव नही  है। 


मीनाक्षी बिष्ट 
गाँव - धानाचूली (नैनीताल )

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