Friday, July 15, 2016

मुसीबतों का पहाड़




जब मुसीबतों का पहाड़ टूटता है।
तो उसके सामने,
पहाड़ भी टूट जाते है....

इधर गांव पर आएं हुए सैलाब को
देखर रोती हुई माँ
और उधर लेह लद्दाख पर
जिंदगी की जंग
लड़ता हुआ बेटा।।
श्याम जोशी
उदेख बिरह मन यही सोचता है कभी तो वो दिन आएगा जब फिर अपना घर बार होगा।
रचना 
श्याम जोशी (अल्मोड़ा चंडीगढ़ )

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