कितना सुन्दर कितना।
मनभावन हमारा उत्तरांचल।।
जिसके माथे में है हिमालय।
जिसके चरणों में बहती गंगा निश्चल।।
जिसका का पानी है निर्मल।
और कितना है उज्वल।।
जिसकी हवा सबको करती है शीतल।
यही है मेरी देवो की देव भूमि उत्तरांचल धाम।।
कविता
श्याम जोशी अल्मोड़ा
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
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