Friday, July 10, 2015

हुडकी बोल

हुडकी बोल

सुफल होया भूमि का भूम्याला सफल होया पंचनाम देवा हो।  
द्यो बिद करया दिया  हो बद्वा दिया हो भगवाना तुम देणा हे जाया हो।।  

मुझे आज भी याद है जब एक बार हमारे गांव में हुडकी बोल लगाया गया था सारे आस -पास के गांव वाले देखने आये थे। एक और जहाँ सारी महिला लोग एक साथ धान की रोपाई करते हुए और आगे -आगे हुड़का बजाने वाला हमारे यहाँ पहले रतन दा बजाता था अब डूगर दा पहले वो गीत के बोले गाता है।"भूमि का भूम्याला हो देणा हे जाया हो " फिर पीछे से सारी महिला लोग गाती है। सुबह ७ बजे से शुरू करते थे। और शाम को ६ बज जाते थे सारे गांव के खेतो में एकसार हो के रोपाई की जाती थी और जब ९ बजे "कलेवा" सब के घर से तो कोई ये नही देखता था ये तेरे घर से या मेरे घर से जिसको जितना मिलता था वो खा जाता था।

और बच्चो की भूमिकाएं अलग -अलग तरह की होती थी कभी खेत से "बीनोण " लाना तो कभी खेत की मेड बनानी और हम बच्चे तो हुए शैतान हम लोग बीच में सारा काम छोड़ कर नहाने चले जाते थे नदी (गाड़ ) में आह फिर इन्तजार होता था आलू के गुडको का और हलवा (सूजी ) कब आये कब खाए और होता क्या था बच्चो का नंबर सब से बाद में कर दिया जाता था और २ बात भी सुना दी जाती थी "के कर रो तुमुल रति बाटिक गाड़ जे बेर नाडम लाग रोछा" ये बोल दिया जाता था।

उसके बाद दिन के समय जो महिला लोग रोपाई करते है वो आपस में मज़ाक का भी काम साथ -साथ में चलता रहता था गीले मिट्टी के गोले बना कर एक दूसरे के ऊपर फेकना और यहाँ था खेत में एक दूसरे को सुला देते थी पानी से सरबर खेत ऊपर से को कच्यार पर उस समय वो सब अच्छा लगता था।

मित्रो एक गीत की लाइन शेयर कर रहा हूँ आगे आप लोगों को आती है तो बताना ये गीत अक्सर मैने रोपाई के समय अपनी जड़ज्या लोगों के मुह से सुना है !

"कसी गोडू में गेला गाजरा म्यर बिछुआ में लागि गो कच्यारा"

श्याम जोशी की कलम से 

श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )

1 comment:

  1. sir ji ye gane ko mere ko de dena bahut aacha lagata hai mere pass hai nahi

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