9 नवम्बर किया था उत्तराखंड ने अपने को अलग खड़े करने का सपना साकार।
कभी बाढ़ ने किया इस उत्तराखण्ड का हाल बेहाल।।
कभी सूखे ने कर डाला देव भूमि को आकाल ।
कभी सूखे ने कर डाला देव भूमि को आकाल ।
खड़ा रहा वो ज्यो का त्यों मुसीबतों का पहाड़ टुटा ।
घायल हुआ हिमायल आपदा की बिपदा पड़ी केदार पर ।।
घायल हुआ हिमायल आपदा की बिपदा पड़ी केदार पर ।।
धीरे धीरे सँभल रहा मेरा प्यारा उत्तराखंड ।
इसको आगे बढ़ाने में हम सबका है फ़र्ज़ ।।
इसको आगे बढ़ाने में हम सबका है फ़र्ज़ ।।
यहाँ 33 कोटि देवो का वास है यही चारों धाम है ।
ऋषियों के वास भी यही है देवीयों का वास भी यही ।।
देवभूमि में सबकी आस भी यही है न हो कोई निराश ।
इस लिए पग -पग पर देवों का वास भी यही है ।।
ऋषियों के वास भी यही है देवीयों का वास भी यही ।।
देवभूमि में सबकी आस भी यही है न हो कोई निराश ।
इस लिए पग -पग पर देवों का वास भी यही है ।।
क्योंकि हरेक उत्तराखंडी का फर्ज है हम बनाये अपने उत्तराखण्ड को उत्तर का आँचल ।।
रचना
श्याम जोशी अल्मोड़ा चंडीगढ़
श्याम जोशी अल्मोड़ा चंडीगढ़
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