Thursday, December 1, 2016

लोक कल्याणकारी देवी देवताओं की पावन भूमि है अल्मोड़ा

हिमालय के उँचे उँचे पहाड़ो के नीचे बसा मेरा गाँव वही है अपनों की छाँव भी गढ़वाल भी वही कुमाँऊ भी वही है जहाँ बड़े बड़े वन सुन्दर सुन्दर वनो में खिले फूलो की घाटी और एक तरफ जहाँ कल कल छल छल करती नदियाँ  और अनेक  प्रकार के पशु पक्षी सुबह सुबह का द्रस्य जो मन को मोह लेने वाला होता है वही शाम के समय आप पहाड़ो की तरफ देखोगे तो आप को अलग अलग तरह के रंग नजर आयंगे। 

अल्मोड़ा की बात करू तो आप जब अल्मोड़ा के पहाड़ी जगह में जाकर आपको ये आभास होगा जी आप हिमालय की बहुत करीब है और वो पहाड़ आप को देख रहा है आप उसे निहार रहे हो सांस्कृतिक नगरी कहे जाने वाला अल्मोड़ा शहर अपने आप में संस्कृति को दर्शाता है कभी देखा होगा आप ने जब शाम का समय होता है तो हिमालय के  ऊपर सूर्य भगवान की किरणें पड़ती है और वह द्रस्य देखने लायक होता है। 

रानीखेत की बात करू तो यहाँ गोल्फ पार्क में आकर यूँ लगता है की सारी जहाँ की जन्नत यही उतरकर आई हो अल्मोड़ा से रानीखेत को जाते हुए आपको बहुत कुछ देखने योग्ग मिलेगा मजखाली से निचे बुबु धाम मंदिर जिसकी बिशेषता अपने आप में एक विशाल कायम करती है है  आगे रानीखेत  से चौबटिया गार्डन जो रानीखेत की खूबसूरती को बयां करता है। इन जगहों में आपको हर पग पग पर भगवान नजर आयंगे इसी लिए कहते है। 

यहाँ पग पग पर बिराजते है भगवान। 
तभी तो है देवो की देव  भूमि महान।।

चित्तई मंदिर जहाँ अल्मोड़ा से आस्था का एक अहम अटूट विश्वास माना जाने वाला न्याय कारी गोलू देवता  सबकी रक्षा करते है और वही सबको न्याय भी देते है उनके दर में सब एक समान ना कोई छोटा ना कोई बड़ा सबका रखते है ध्यान वही पहाड़ी पर  माँ दुर्गा  देवी कसार देवीमंदिर  इस मंदिर से हिमालय की ऊँची-ऊँची पर्वत श्रेणियों के दर्शन होते हैं। कसार देवी का मंदिर भी दुर्गा का ही मंदिर है।

कटारमल का सूर्य मन्दिर अपनी बनावट के लिए विख्यात है यहाँ पर समस्त हिमालय के देवतागण एकत्र होकर पूजा अर्चना करते रहै हैं। यह मूर्ति एक मीटर से अधिक लम्बी और पौन मीटर चौड़ी भूरे रंग के पत्थर में बनाई गई है। यह मूर्ती बारहवीं शताब्दी की बतायी जाती है। कोर्णाक के सूर्य मन्दिर के बाद कटारमल का यह सूर्य मन्दिर दर्शनीय है। कोर्णाक के सूर्य मन्दिर के बाहर जो झलक है, वह कटारमल मन्दिर में आंशिक रुप में दिखाई देती है। और सामने कोशी नदी के ऊपर से जो पथरो की बरात के रूप में बड़े बड़े विशाल काय पत्थर  देखने योग है। 

कोशी से आगे जाकर कुछ ही दूर में मेरा घर पड़ता है उसके आगे कठपुड़िया जाने वाला मार्ग आगे द्वारसौ काफी अच्छी जगह है मजखाली की धरती रमणीय है। यहाँ से हिमालय का मनोहारी हिम दृश्य देखने सैकड़ों प्रकृति-प्रेमी आते रहते हैं। मजखाली से कौसानी का मार्ग सोमेश्वर होकर जाता है। रानीखेत से कौसानी जाने वाले पर्यटक मजखाली होकर ही जाना पसन्द करते हैं। 

मेरी कलम  मेरा पहाड़ 
श्याम जोशी अल्मोड़ा (चंडीगढ़ )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
9876417798

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